October 9, 2024
kalpana saroj biography and motivational story in hindi

कभी 2 रूपए कमाने वाली Kalpana Saroj कैसे बनी 2000 करोड़ रूपए की मालकिन?

Kalpana Saroj Motivational Story in Hindi – दोस्तों एक बहुत ही गरीब और दलित परिवार में जन्मी Kalpana Saroj, जिसने पिता एक मामूली हवलदार और जिसने अपने ससुराल वालो की मार-पिटाई बर्दाश की, जिसने एक बार आत्महत्या करने तक की सोच ली थी वही Kalpana Saroj आज 2000 करोड़ की मालकिन है। लेकिन कैसे हुआ ये संभव? दोस्तों वो कहते है ना

[su_quote]मान लो तो हार होगी, ठान लो तो जीत होगी।[/su_quote]

kalpana saroj biography and motivational story in hindi

बस कुछ ऐसा ही ठान लिया था Kalpana Saroj ने और शहर की तमाम सुख सुविधाओं से दूर होकर निकल पड़ी अपनी मंजिल की तरफ। कल्पना सरोज की कहानी किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है लेकिन ये एकदम सच्ची कहानी (True Story) है। चलिए इस Motivational Story in Hindi को शुरू से जानते है।

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Kalpana Saroj Biography and Inspirational Story in Hindi

दोस्तों ये Kalpana Saroj Life Story (Inspirational Story) आपके जीवन को बदल सकती है। यदि आप एक महिला है तो फिर ये Real Story आपके लिए एक Life Changing Story साबित होगी। आपको इस Kalpana Saroj Motivational Story in Hindi (Inspirational Success Life Story in Hindi) से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और आप अपनी जिन्दगी के प्रति Motivate हो जाओगे।

Kalpana Saroj Motivational Story in Hindi

कल्पना सरोज जन्म परिचय

कहानी की शुरुवात होती है 1961 में जब महाराष्ट्र के जिले अकोला के एक छोटे से गाँव रोपरखेड़ा के एक दलित और बहुत ही गरीब परिवार में कल्पना सरोज का जन्म हुआ। दलित समाज में जन्म लेने के कारण उन्हें बहुत सी उपेक्षाए सहनी पड़ी और बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

परिवारिक परिचय

कल्पना के पिताजी एक पुलिस हवलदार थे जिनका वेतन 300 रूपए प्रतिमाह हुआ करता था। कल्पना के घर में तीन बहन, दो भाई, चाचा-चाची, दादा-दादी उनके साथ रहते थे। मात्र 300 रूपए में वह इतने बड़े परिवार का खर्च उठाते थे। कल्पना जी पास ही के सरकारी स्कूल में पढने जाती थी।

कल्पना जी के गाँव में सुख-सुविधाओं जैसी कोई चीज़ नहीं थी जैसे की बिजली, पानी, पक्के मकान। वह अक्सर स्कूल में पढने के बाद गोबर उठाया करती थी और उसके बाद लकड़ियाँ चुनने का काम किया करती थी।

12 साल की उम्र में विवाह

कल्पना जी के समाज में लड़कियां अक्सर बोझ हुआ करती थी इसलिए उनकी जल्द से जल्द कम उम्र में शादी कर दी जाती थी फिर चाहे लड़का कैसा भी क्यों न हो। ठीक ऐसा ही उनके साथ भी हुआ और उनकी शादी मात्र 12 साल में अपने से काफी बड़े एक लड़के के साथ करवा दी गई। जब उनकी शादी हुई तब वह 7th कक्षा में पढ़ती थी।

शादी के बाद वह मुंबई चली गई जहाँ मुसीबते पहले से उनका इंतज़ार कर रही थी। कल्पना जी ने बताया उनके ससुराल वाले इतने बेरहम थे कि इंसानियत, दया, प्यार ऐसे शब्दों का उन लोगो से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं था।

कल्पना जी के ससुराल वाले उन्हें खाना नहीं देते थे, उनके साथ मार-पिटाई करते थे। कल्पना जी कहती है कि उन्हें शुरुवात में बहुत परेशानी आई लेकिन धीरे-धीरे मार सहने की आदत पड़ गई और बस रोज़ाना किसी न किसी बात पे उनके ससुराल वाले उनसे मार पिटाई करते ही थे।

जब 6 महीनो के बाद उनके पिता उनसे मिलने उनके पास गए तब उनके पिता से कल्पना जी की वो दशा देखी नहीं गई और वो उन्हें वापिस अपने घर ले आये।

आत्महत्या करने की कोशिश

जब कल्पना अपने घर आ जाती है तो उन्हें अपने समाज के ताने सहने को मिलते है। उनके समाज के लोगो ने ये जानने तक की कोशिश नहीं की, कि कल्पना वापिस क्यों आई बल्कि उन्हें तो सिर्फ ताने मारने, बुरी नजर से देखने में मजा आता था। कल्पना के पिताजी ने कल्पना को दुबारा पढ़ाने की कोशिश की लेकिन इतना सबकुछ हो जाने के बाद अब कहाँ पढाई में मन लगता।

अब बस बहुत हो चुका था कल्पना को अपने जीवन के सभी दरवाजे बंद लगने लगे और उन्होंने सोचा अब जीना तो मुश्किल है लेकिन मरना तो आसान है। बस इसी सोच के चलते उन्होंने कही से तीन बोतल जहर की खरीद ली और अपनी बुआ के घर पर तीनो बोतलें एक साथ पी गई। अफरा-तफ़री में उनकी बुआ उन्हें डॉक्टर के पास लेकर गई और उनका बचना एक तरह से नामुमकिन था।

लेकिन शायद भगवान ने कल्पना की जिन्दगी में कुछ और ही लिख रखा था और वह बच गई। जिन्दगी ने कल्पना को एक मौका दिया और कल्पना ने अपनी जिन्दगी से एक वादा किया कि कुछ करके मर सकते है तो क्यों न कुछ करके जिया जाये बस अब उन्होंने ठान लिया कि कुछ तो करना है।

फिर से मुंबई की तरफ

कल्पना जी को मालूम नहीं था कि उन्हें फिर से मुंबई में कदम रखने पड़ेंगे और वह अपने चाचा के यहाँ आ गई। कल्पना सिलाई का काम जानती थी इसलिए उनके चाचा ने उन्हें कपडे की मील में सिलाई का काम दिलवा दिया। कल्पना अपना आत्मविश्वास बिल्कुल खो चुकी थी इसलिए सिलाई का काम जानते हुए भी वह सिलाई नहीं कर पाई और उसे धागे काटने का काम दे दिया गया।

इस काम के बदले उन्हें रोज़ाना के 2 रूपए मिलते थे। धीरे-धीरे वह सिलाई का काम भी करने लगी और अब उन्हें प्रति माह सवा दो सौ रूपए मिलने लगे।

यहाँ पर भी मुसीबतों ने कल्पना जी का पीछा नहीं छोड़ा और उनकी बहन की काफी बीमार रहने के कारण मृत्यु हो गई क्योंकि उनके पास इलाज करवाने के पैसे नहीं थे। अब कल्पना जी को समझ आया कि दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी है “गरीब होना” उन्होंने अब तय कर लिया कि वह भी कुछ करके दिखाएगी।

सफलता की ओर बढ़ते कदम

अब उन्होंने कुछ करने का सोच लिया था और इसी सोच के साथ सबसे पहले उन्होंने अपने घर में सिलाई मशीने लगवाई और दिन में 16-16 घंटे काम करने लगी। इस से कुछ पैसे आने लगे। लेकिन सिलसिला यही ख़त्म नहीं होता अब तो उन्होंने शुरुवात की थी।

कल्पना ने अब बिज़नस करने की सोची लेकिन इतने पैसे उनके पास नहीं थे जिन से वो अपना खुद का कोई बिज़नस शुरू कर सके। इसलिए उन्होंने सरकार से लोन लेने की सोची। सरकार से लोन लेना कहा इतना आसान है इसलिए उनके घर के पास एक आदमी रहता था जो सरकार से लोन दिलवाया करता था।

कल्पना जी को जब उस आदमी के बारे में मालूम चला तब उन्होंने उस आदमी से लोन लेने के बारे में बात की लेकिन उस आदमी ने कल्पना को ignore किया। कल्पना ने उस आदमी के घर के चक्कर लगाने तब तक नहीं छोड़े जब तक उसने लोन दिलवाने के लिए हाँ नहीं बोल दिया।

लेकिन जब कल्पना जी को मालूम हुआ कि 50000 रूपए लोन लेने के लिए 10000 रूपए इधर-उधर लोग को खिलाने पड़ेंगे तब कल्पना जी ने उन्हें साफ़ मना कर दिया और कल्पना ने अपना खुद का एक ऐसा संगठन बनाया जो इसी प्रकार के काम करवाता था वो भी बिना पैसे खिलाये-पिलाए। ये संगठन धीरे-धीरे काफी मशहूर हो गया और अब कल्पना जी भी काफी पोपुलर हो गई।

अब उन्होंने भी 50000 का लोन ले लिया और इन पैसो से अपना खुद का फर्नीचर का बिज़नस शुरू किया। कल्पना जी की उम्र उस समय 22 वर्ष थी। इसके बाद उन्होंने एक ब्यूटीपार्लर खोला। अब कल्पना जी की स्थिति कुछ सामान्य हो चली थी और उन्होंने अपनी दूसरी शादी भी कर ली। 1989 में उनके पति की मृत्यु हो गई।

मिली बड़ी जीत

एक दिन कल्पना जी के पास एक आदमी आया और उन्होंने कल्पना को कहा कि वह उनका प्लाट खरीद ले जिसकी कीमत उसने 2.5 लाख बताई। लेकिन कल्पना ने कहा उसके पास इतने पैसे नहीं है इसपर उस व्यक्ति ने कहा वह उसे अभी सिर्फ 1 लाख रूपए दे दे। कल्पना ने उसे एक लाख रूपए दे दिए।

लेकिन बाद में मालूम हुआ कि वह जमीन तो विवादों से घिरी हुई है वहा कुछ भी नहीं बनाया जा सकता। कल्पना जी ने हिम्मत नहीं हारी और उस जमीन के विवादों को मिटाने में लग गई। लगभग 2 साल में उन्होंने उस जमीन से जुड़े सारे वाद-विवाद निपटा दिए और वह 2.5 लाख की जमीन 50 लाख की बन गई।

एक औरत का इतनी महंगी जमीन का मालिक होना ये बात वहा के कुछ गुंडों को बर्दाश नहीं हुई और उन्होंने कल्पना पर हमला करने की सोची। लेकिन उन गुंडों को पुलिस ने पहले ही पकड़ लिया।

पुलिस ने उनको प्रोटेक्शन लेने को कहा लेकिन इस पर कल्पना जी ने उन्हें कहा की अगर वह कुछ देना ही चाहते है तो उन्हें रिवाल्वर का लाइसेंस दे वह अपनी हिफाजत खुद कर लेगी।

कल्पना जी ने अपनी जमीन पर कुछ काम करने की सोची लेकिन इसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे इसलिए उन्होंने सिन्धी बिज़नसमैन से पार्टनरशिप कर ली। इस पार्टनरशिप में उन्होंने करोडो रूपए कमाए।

बन गई कमानी ट्यूबस की मालकिन

Mr. N.R Kamani ने 1960 में इस कंपनी की शुरुवात की थी। शुरुवात में कंपनी ठीक से चली लेकिन 1985 में Company Management और Company Labour के बीच कुछ विवाद उत्पन्न हुए जिस कारण कंपनी बंद पड़ गई। अब 1988 में सुप्रीम कोर्ट ने इस कंपनी को दोबारा शुरू करने का आदेश दिया और कंपनी के वर्कर्स को कंपनी का मालिक बना दिया गया।

वर्कर्स कंपनी को ठीक से नहीं चला पाए और धीरे-धीरे कंपनी पर काफी बड़ा कर्ज हो गया। साल 2000 में कंपनी के वर्कर्स कल्पना जी के पास गए और उनसे मदद मांगी क्योंकि उन्होंने सुना था कि कल्पना जी एक अच्छी बिजनेसमैन है और काफी दयालु भी है। उस समय कंपनी पर करीब 115 करोड़ का कर्ज हो चूका था और साथ ही बहुत से विवादों से भी घिरी हुई थी।

कल्पना ने पहले उनकी मदद करने से मना कर दिया लेकिन जब उन्होंने कहा की अगर वह उनकी मदद करेगी तो कंपनी में काम कर रहे करीब 3500 वर्कर्स का भला होगा जो गरीबी से जूझ रहे है। जिनके बच्चे भूखे मर रहे है यहाँ तक की कुछ वर्कर्स भीख भी मांग रहे है।

कल्पना जी गरीबी के दर्द को भली भाँती समझ सकती थी। अब उन्होंने फैसला लिया की वो उनकी मदद करेगी। इसके बाद कल्पना कमानी ट्यूबस की बोर्ड मेम्बर बन गई और उन्होंने 10 लोगो की एक बेहतरीन टीम बनाई। कल्पना ने उस कंपनी की रिपोर्ट तैयार की और उस रिपोर्ट से उनको मालूम हुआ कि कंपनी पर ज्यादातर कर्ज पेनल्टी और ब्याज का है।

Kalpana Saroj Biography and Motivational Story in Hindi

यह सब देखकर कल्पना जी ने वित्त मंत्री से विनती की, कि अगर वह इस कंपनी पर लगे पेनल्टी और ब्याज को माफ़ कर दे तो वह मूलधन वापिस कर देगी। इस पर जिन जिन बैंक का कर्जा था उन्होंने कल्पना को कहा कि वह सारा पेनल्टी और ब्याज की रकम माफ़ कर रहे है साथ में मूलधन का भी 25% माफ़ कर देंगे।

अब कंपनी में ख़ुशी की लहर छा गई और सभी वर्कर्स एक साथ मिलकर काम करने लगे। जब कोर्ट ने देखा की कल्पना जी कमानी ट्यूबस को अच्छे से संभाल रही है तो कोर्ट ने उनको कंपनी का मालिक बना दिया। साथ ही कोर्ट ने कल्पना को 7 साल का समय दिया बैंक का सारा पैसा चुकाने के लिए। लेकिन ये 7 साल तो बहुत ज्यादा थे कल्पना ने तो सिर्फ 1 साल में ही सभी बैंक्स के लोन चूका दिए।

सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने वर्कर्स की रुकी हुई 3 साल की सैलरी भी दी। अब कल्पना ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कंपनी को आगे बढ़ने में जुट गई। कल्पना को 2013 में पद्मश्री सम्मान भी दिया गया। इसके साथ ही कल्पना जी को भारतीय महिला बैंक बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर में भी शामिल कर लिया गया। आज कल्पना जी 2000 करोड़ रूपए की मालकिन है और श्री नरेन्द्र मोदी जी भी उनकी तारीफ करते है।

Kalpana Saroj Life Story in Hindi

दोस्तों ये थी Kalpana Saroj Motivational Story in Hindi जिसे पढ़कर शायद आपको महसूस हुआ होगा कि आप चाहो तो क्या नहीं कर सकते। कल्पना जी की Success Life Story लोगो को और खासकर महिलाओँ को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। बहुत से इलाको में आज भी महिलाओं और लडकियों को बोझ समझा जाता है अगर आप ये कहानी शेयर करे तो शायद उन तक ये Inspirational Story पहुँच पाए।

यू ही नहीं मिलती राही को मंजिल, एक जूनून सा दिल में जगाना होता है,
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बार-बार तिनका उठाना पड़ता है।

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अगर आपको ये Kalpana Saroj Motivational Story in Hindi (Kalpana Saroj Biography in Hindi) पसंद आई हो तो इस Kalpana Saroj Inspirational Motivational Story को एक बार सोशल मीडिया पर अवश्य शेयर करे। ताकि जो लोग अपने आपको इस धरती पर बोझ समझते है वो लोग जिदंगी में आगे बढ़ सके। धन्यवाद।

Sneha Shukla

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One thought on “कभी 2 रूपए कमाने वाली Kalpana Saroj कैसे बनी 2000 करोड़ रूपए की मालकिन?

  1. ” कल्पना जी के समाज में लड़कियां अक्सर बोझ हुआ करती थी इसलिए उनकी जल्द से जल्द कम उम्र में शादी कर दी जाती थी फिर चाहे लड़का कैसा भी क्यों न हो। ” मैं आपकी इन बातों से सहमत नहीं हूँ। यह केवल दलित समाज की ही व्यथा नहीं है बल्कि पुरे हिन्दू समाज का यही हाल है। इसलिए आप अगर यहां पुरे समाज की बात करें तो किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचेगी। धन्यवाद

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