Nasha Shayari in Hindi – दोस्तों आज हम नशे पर शायरी आपके साथ शेयर करेंगे फिर चाहे वो शराब का नशा हो या कमियाबी का नशा हो।
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Best Nasha Shayari 2 Lines
सुना है खुदा की इबादत का नशा
सर चढ़ कर बोलता है
यूं ही नहीं झुका करती
हजारों नजरें मेरे मालिक के सजदे में
वो खुदा भी मुझसे कुछ
खफा सा रहने लगा है
जब से तेरे इश्क का नशा
मेरी रगों में बहने लगा है
सच ही कहा है किसी ने
इश्क के मारो का बस वो
खुदा ही मालिक होता है
मेरे रहनुमा की रहमत का नशा
कहां भला हर किसी को नसीब होता है
इश्क का नशा शायरी
उस बेरहम के इश्क में हम
कुछ यूं शरिख होने लगे हैं
कभी हम उसकी नजरों के
तो कभी मय के नशे में जीने लगे हैं
खुद को भूल कर हम आज
उसमें नज़र आने लगे हैं
जाने कैसा नशा है मेरे
महबूब की चाहत में
आज कल देखूं मैं जहां कहीं
वो हर कहीं मुझे दिखने लगा है
लगता है नशा उस मनचले दिलबर का
अब मेरे बांवरे मन पर भी चढ़ने लगा है
लगता है खुदा की रहमत को वो
बेरहम भी समझने लगा है
नशा ही कुछ ऐसा है मेरे
खुदा की बरकत का
खुदा की इनायत से
कुछ बेखबर सा था मैं
नशे से ऐसे घिरा था मैं
कि लोगों के लिए हर रोज
एक ताजा खबर सा था मैं
अक्सर बहक कर वो इश्क-ए-उल्फत
में शिकवे हज़ार किया करते हैं
इश्क के नशे को जानते नहीं वो भी
और फना होने की वो
अक्सर बात किया करते हैं
उतरता नहीं है कभी जाने क्यों खुमार उसका
दिल आज फिर बन बैठा है नशे में पहरेदार उसका
Best Hindi Shayari on Nasha – Nasha Status, Nasha Quotes
नशा होता कहां है मेरे जहन में
चंद कागज़ के टुकड़ों का बस
उस दिलबर की कातिल नजरों से ही
हम अक्सर बहक जाया करते हैं
मयखाने में अब हर मर्ज की
कहां दवा हुआ करती है
संभल जाया करते है हम
खुद-ब-खुद नशे में भी
जब भी दिल-ए-महफ़िल में
उस सितमगर की बात हुआ करती है
जाने कैसी शिद्दत है
उस बेरहम की नफ़रत में भी
उसके इश्क के नशे में हम
सारे शिकवे गिले
पल में भूल जाया करते है
हुस्न का नशा शायरी
नायाब मोतियों सा है
रुतबा मेरे हमदम का
लोग नशे में भी अक्सर उसका जिक्र
बड़े अदब से किया करते है
कहीं फिर बहक ना जाऊं
उसको देख कर नशे में
राह-ए-मुश्क पर अब
संभल कर चलने लगा हूं
आज कल मैं भी
कोई नशे में लिखता है
कोई मजे में लिखता है
अपनी जिंदगी फलसफा
हर कोई एक दिन तो कोरे
पन्नों पर जरूर लिखता है
दिल और जहन पर वो
अब कुछ यूं छाने लगा है
नशे में हर तरफ बस उसका
चेहरा नज़र आने लगा है
ये कैसा नशा छाया है उसका मूझ पर
जाने मैं कैसे गज़ब के ख़ुमार में हूँ
उसके जाने के बाद भी हर घड़ी
मैं उसके आने के इंतजार में हूं
निगाहों में हसरत तो अब भी है
उसको एक नज़र देखने की
लेकिन नशा उसके इश्क का अब
धीरे-धीरे कुछ कम होने लगा है
उसके नशे में खुद को कहीं भूल जाने लगे हैं
दिल में छिपाए रखते हैं हम जिनको अपने
रात के अंधेरों में जाने क्यों वो फिर याद आने लगे हैं
नशे की लत पर शायरी
सच ही कहा है किसी ने…
इश्क ए शिद्दत में कहीं ख़ुद को भूल मत जाना
नशा शराब का हो या शबाब का
एक दिन उतर ही जाता है
बड़ी मुश्किल से संभलना सीखा है हमने भी
वरना इश्क के नशे में
हम खुद को भी कहीं गवा बैठे थे
हमने बड़े इत्मीनान से पाया है
मुकाम अपनी मंजिल का
वरना लोग मय के नशे में डूब कर
अक्सर तबाह हो जाया करते है
दोस्ती का नशा शायरी
मत समझना के हम बस नशे में ही
हाल ए दिल बयां किया करते हैं
तेरे खुमार ए इश्क के तो हम
आज भी तलबगार है
ये तौहीन होगी तुम्हारे इश्क की
अगर हम तुमको भुला कर
महफिल-ए-मय में खोने लग जाए
कभी शिद्दत उनके इश्क की कुछ
इस कदर हम पर चढ़ने लगी थी
क्या बताए बस उसको एक नजर देख कर ही
दिन और रातें भी अक्सर उसके
नशे में गुजरने लगी थी
कैसे करे हम बयां अपने जज्बातों का
हर पल मेरा अब उसकी
यादों के नशे में गुजरने लगा है
Aapane bahut badhiya jankari di hai