Short Hindi Stories with Moral Values for Kids:- आज मैं हमारे देश के भविष्य यानी की बच्चो के लिए 3 शिक्षाप्रद कहानियाँ (Moral Stories) लिखने जा रहा हूँ जिनसे बच्चो को काफी अच्छी सीख मिलेगी। हमारे बच्चे हमारे देश का भविष्य है इसलिए ये हमारा कर्तव्य है कि वो कभी किसी गलत राह पर ना जाए।
ये 3 हिंदी कहानियां (Short Hindi Stories for Kids) आपको, आपके बच्चो को गलत रास्ते पर जाने से रोकेगी। इसलिए अगर आप ये शोर्ट हिंदी स्टोरी पढ़ रहे है तो आप इन्हें अपने बच्चो को भी पढाए। अब शुरू करते है Hindi Short Stories with Moral.
Very Short Hindi Stories with Moral Values
Short Hindi Stories with Moral for Kids #1 – स्वच्छता
एक बार एक स्कूल था जहा हर रोज प्रार्थना होती थी। जो कोई भी छात्र प्रार्थना में नहीं जाता था उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाती थी।
उसी स्कूल में एक छात्र का नाम था धीरज। धीरज पढाई-लिखाई में, साफ़-सफाई में बहुत ही आगे था और कक्षा के कुछ छात्र धीरज से जलते भी थे।
एक दिन धीरज प्रार्थना में नहीं जा पाया। टीचर कक्षा में आये और आकर पूछा –
आज कक्षा में कोन उपस्थित नहीं था?
कुछ बच्चो ने बताया कि धीरज आज प्रार्थना में नहीं आया था और उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाये। इस पर टीचर ने धीरज को खड़ा किया और उसको बोला कि धीरज तुम्हे प्रार्थना में नहीं आने पर सजा दी जाएगी लेकिन उस से पहले तुम्हारे प्रार्थना में ना आने का कारण जानना चाहता हूँ।
इस पर धीरज ने कहा –
सर जी, मैं प्रार्थना में आने ही वाला था लेकिन जब मैं कक्षा से निकलने ही वाला था तो मैंने देखा की कक्षा में कचरा फैला हुआ है और बिलकुल भी साफ़-सफाई नहीं की गई है इसलिए मैं साफ़-सफाई में व्यस्त हो गया।
धीरज ने आगे कहा – सर जी, आप ही तो कहते है कि स्वच्छता ही भगवान है। बस यही कारण है मैं प्रार्थना में उपस्थित नहीं हो पाया।
टीचर को धीरज की बातें सुनकर बहुत गर्व हुआ और टीचर ने धीरज को गले लगा लिया।
Moral of this Short Hindi Story – कोई भी अच्छा काम छोटा नहीं होता।
Short Hindi Stories with Moral Values #2 – ईमानदारी
एक गाँव में एक व्यापारी रहता था। वह व्यापारी जंगल से लकड़ियाँ काटकर अपना व्यापार किया करता था। एक दिन वह जंगल में एक नदी के किनारे पेड़ पर बैठकर लड़की काट रहा था। इतने में ही ये क्या….
व्यापारी की कुल्हाड़ी उस नदी में गिर गई। व्यापारी ने देर ना करते हुए तुरंत उस नदी में छलांग लगा दी और अपनी कुल्हाड़ी को ढूँढने का बेहद प्रयास किया।
लेकिन अंत में बेचारे व्यापारी को निराशा ही मिली। उसके पास सिर्फ एक ही कुल्हाड़ी थी जिस से उसकी रोजी रोटी चलती थी। यह सोचकर अब वो नदी के किनारे बैठकर रोने लगा की अब वह क्या करेगा? कोन उसकी मदद करेगा?
इतने में नदी से गंगा देवी निकलकर व्यापारी के सामने प्रकट हो गई। गंगा देवी ने व्यापारी से पूछा तुम क्यों रो रहे हो?
व्यापारी ने गंगा देवी को सारी बात बताई। तभी गंगा देवी ने नदी में दुबकी लगाई और सोने की कुल्हाड़ी निकालकर लाई। व्यापारी को सोने की कुल्हाड़ी दिखाकर गंगा देवी ने पूछा –
गंगा देवी – क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?
व्यापारी – नहीं, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।
गंगा देवी ने फिर से नदी में दुबकी लगे और इस बार वह चांदी की कुल्हाड़ी निकालकर लाई। अब गंगा देवी ने फिर से पूछा –
गंगा देवी – क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?
व्यापारी – नहीं, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।
अब गंगा देवी ने एक बार और नदी में दुबकी लगे और इस बार लोहे की कुल्हाड़ी निकालकर लाई।
गंगा देवी – क्या यह है तुम्हारी कुल्हाड़ी?
व्यापारी – जी हाँ, यही मेरी कुल्हाड़ी है।
गंगा देवी ने व्यापारी की ईमानदारी देखकर उसे तीनो कुल्हाड़ी दे दी और फिर गायब हो गई।
Moral of this Short Hindi Story – ईमानदार इंसान को हमेशा उसके किये का फल मिलता है।
Hindi Panchatantra Kahani with Moral Values #3 – घमंडी पेड़
बहुत साल पुरानी बात है एक जंगल में एक आम और एक पीपल का पेड़ हुआ करता था। आम का पेड़ स्वभाव से बहुत नर्म था जब्कि पीपल का पेड़ स्वभाव से बहुत कठोर था।
एक दिन उस जंगल में रानी मधुमक्खी अपने साथियो के साथ वहा रहने आई। वह उनकी नजर उस पीपल के पेड़ पर पड़ी जो काफी घना था। मधुमखियों ने सोचा क्यों ना पीपल के पेड़ पर ही अपना घर बनाया जाये।
इसलिए उन्होंने उस पीपल के पेड़ से पूछा – हे पीपल महाराज, हम यहाँ पर रहने आये है कृपया आप हमें आश्र्य दे। इस पर पीपल के पेड़ ने कहा –
मुझे अपने उपर किसी का राज पसंद नहीं है तुम कही और जाकर अपना छत्ता बनाओ। आम का पेड़ यह सब सुनकर बोला – अरे भाई तुम इतने बड़े हो, इतने घने हो फिर इन बेचारी मधुमक्खियों को घर क्यों नहीं बना लेने देते।
इस पर पीपल के पेड़ ने कहा – अगर तुमको इतनी ही दया आ रही है तो तुम ही इन्हें आश्र्य क्यों नहीं दे देते।
इस पर आम के पेड़ ने मधुमक्खियों से कहा – बहनों तुम सभी मेरे उपर छत्ता बना सकती हो तुम्हे कोई दिक्कत नहीं होगी। ये सुनते ही सारी मधुमक्खियां आम के पेड़ पर अपना छत्ता बना लेती है।
एक दिन कुछ लक्कड़हारे उस जंगल में लकड़ियाँ काटने आते है। वह उस आम के पेड़ के पास आकर रुक जाते है और कहते है – अरे यार ये आम का पेड़ देखो कितना सुन्दर है अगर इसकी लकडियो को बाजार में बेचेंगे तो हमें बाजार में अच्छे पैसे मिलेंगे।
तभी उसका दूसरा साथी कहता है – भाई इसपर तो मधुमक्खियों ने अपना छत्ता बनाया हुआ है अगर हम इसे काटेंगे तो ये मधुमक्खियां हमें कटेंगी। तभी दुसरे की नजर उस पीपल के पेड़ पर पड़ती है और वो कहता है भाई ये पेड़ देखो कितना घना भी है और इसपर तो मधुमक्खियाँ भी नहीं है चलो इसे काटते है।
इतना कहकर वो उस पीपल के पेड़ को काटना शुरू कर देते है। पीपल का पेड़ जोर-जोर से रोने लगता है। यह सब देखकर आम के पेड़ को पीपल के पेड़ पर तरस आ जाता है और वह मधुमक्खियों को कहता है – बहनों पीपल के पेड़ की मदद कर दो उसे कोई काट रहा है।
तभी मधुमक्खियाँ उन लक्कड़हारो पर आक्रमण कर देती है और वो सभी लक्कड़हारे वहा से भाग खड़े होते है।
पीपल का पेड़ मधुमक्खियों को शुक्रिया कहता है लेकिन मधुमक्खियाँ पीपल के पेड़ से कहती है अगर शुक्रिया करना है तो वह आम के पेड़ को करे क्योंकि उन्होंने ही तुम्हे बचाने के लिए हमें यहाँ भेजा।
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