April 26, 2024
Holi Essay in Hindi

मेरे प्रिय त्यौहार होली पर निबंध | 2020 Holi Essay in Hindi for Child

अगर आप होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) की खोज कर रहे है तो आप सही जगह पर आये है। इस रंगों के त्यौहार पर मैं आपके लिए होली पर एक निबंध लेकर आया हूँ जिसे आप अपने स्कूल के मंच पर या फिर कही पर भी बोल सकते है। अक्सर स्कूल एवम् कॉलेज में होली के अवसर पर छात्र होली पर निबंध ढूँढ़ते रहते है। चलिए शुरू करते है।

Happy Holi Essay in Hindi for Child 2020

Holi Essay in Hindi

Essay on Holi in Hindi with Heading

भूमिका

होली एक “रंगों का त्यौहार” है जो भारत के चार बड़े पर्वो में से एक है। यह पर्व फागुनी पूर्णिमा में, चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। होली के त्यौहार में लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते है।इस पर्व को बड़े ही उत्साह, प्रेम व उमंग के साथ मनाया जाता है। दुसरे शब्दों में हम होली के त्यौहार को प्रेम का त्यौहार भी कह सकते है।

इस दिन होलिका दहन किया जाता है। होली के अगले दिन धुलंडी आती है। धुलंडी के दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाते है और गले मिलते है।होली को मानाने के पीछे होली का इतिहास है जो बहुत पुराना है। होली का त्यौहार लोगो में प्रेम भावना पैदा करता है।

होली का त्यौहार क्यों मनाते है (होली का इतिहास)

प्राचीन काल में एक राजा रहता था जिसका नाम हिरण्यकश्यप था। भगवान विष्णु ने राजा के भाई को मार दिया जिस कारण राजा अत्यधिक क्रोध में आ गया और उसने अपने भाई की मौत का बदला लेने की सोची। वह जंगल में जाकर कठोर तपस्या करने लगा।

इस पर ब्रह्मा जी काफी प्रसन्न हुए और राजा से बोला बताओ तुम्हे क्या वरदान चाहिए। राजा ने ब्रह्मा जी से कहा कि वो उन्हें ऐसा वरदान दे जिसे ना कोई दिन में मार पाए ना रात में, ना अन्दर मार पाए ना बाहर, ना अस्त्र से मार पाए ना शस्त्र से, ना नर मार पाए ना पशु।

इस पर ब्रह्मा जी ने उनको यह वरदान दे दिया। अब राजा में इतना अहंकार आ गया था कि उसने सभी लोगो को आदेश दे दिया कि सभी लोग सिर्फ उसी की पूजा करेंगे और जो नहीं करेगा उसे मृत्यु दंड दिया जाएगा।

कुछ समय बाद राजा को पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम प्रहलाद था। राजा का पुत्र भगवान विष्णु जी की पूजा करता था यह देख राजा को अत्यधिक क्रोध आया और उसने अपने पुत्र का बढ़ करने का निश्चय कर लिया। अपने पुत्र का बढ़ करने के लिए उसके सैनिको ने काफी प्रयास किये लेकिन वो सभी प्रयास में विफल रहे।

राजा की बहन ने राजा से कहा कि उसे वरदान प्राप्त है कि वो अग्नि में नहीं जल सकती इसलिए वह प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर जलती हुई अग्नि में प्रवेश कर जाएगी जिस से प्रहलाद की अवश्य ही मृत्यु हो जाएगी।

लेकिन जैसा उस राक्षस राजा और उसकी बहन ने सोचा था ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। राजा की बहन अग्नि में जल कर मर गई और प्रहलाद सुरक्षित बाहर निकल आया। उस दिन से होलिका दहन की प्रक्रिया शुरू हुई जो आज तक चलती आ रही है।

होलिका दहन कैसे करते है

शाम की समय होलिका दहन किया जाता है और इस से अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है। होलिका दहन में सभी लोग होली से कुछ दिन पहले ही गाँव के किसी चौपाल के पास लकड़ी, गोबर इत्यादि इकठ्ठा करने लग जाते है। होली का दिन आते आते वह भारी मात्रा में इकठ्ठा हो जाता है।

फिर सभी लोग मिलकर उसको अग्नि देते है और उनके फेरे लेते है। किसान अपने खेतो में से अनाज लेकर जाते है और उसे उस अग्नि में सेंकते है फिर सभी लोगो में बाँट देते है। इस से देवता बहुत खुश होते है। हिन्दू धर्म के अनुसार अग्नि की राख से तिलक लगाया जाता है।

अपनी होली

रंगों के इस त्यौहार को भाई चारे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग एक दुसरे को मिठाईयां खिलाते है। लोग आपस में गले मिलते है व एक दुसरे को रंग लगाते है। होली का त्यौहार हिन्दुओ का त्यौहार है साथ ही यह भारत के चार बड़े त्योहारों में शामिल होता है। होली के दिन घर की साफ़-सफाई होती है।

छोटे बच्चे होली का त्यौहार आने का बहुत बेसब्री से इंतज़ार करते है। इस इन लोग मंदिरों में पूजा करने के लिए जाते है व भगवान से कुछ न कुछ मानते है। भगवान उनकी हर मनोकामनाएँ पूरी करता है। इस दिन लोग नए कपडे पहनते है। होली से लोगो के दिलो में प्रेम की भावना पैदा होती है।

होली का महत्त्व

हिन्दुओ में होली का अत्यधिक महत्त्व है। लोग एक दुसरे के गले मिलते है और खूब सारी बधाईयाँ देते है। इस दिन लोग अमीरी-गरीबी को भूल जाते है और उनके अन्दर बस प्यार की भावना रहती है। लोग खुशियाँ मनाते है। कुछ लोग सिर्फ गुलाल से होली खेलते है वही कुछ लोग पानी से होली खेलते है।

होलिका दहन

होली वाले दिन शाम के समय होलिका दहन किया जाता है। जिस प्रकार रावण पर राम की जीत हुई थी ठीक उसी प्रकार इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी। हर साल होलिका दहन बड़े ही धूमधाम व उल्लास के साथ किया जाता है। शाम के समय होलिका दहन के पास काफी लोग जमा हो जाते है।

भाईचारे का प्रतीक

होली का त्यौहार भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने गिले-शिकवे भूल कर एक दुसरे को गले लगाते है। किसी इंसान की किसी के साथ दुश्मनी भी होती है तो वह होली के दिन उसे भूल जाता है। लोग अलग-अलग तरह से होली खेलते है जैसे कोई पानी के साथ, कोई गुलाल के साथ तो वही कुछ लोग ऐसे भी है जो मार-पिटाई करके होली खेलते है जो गलत बात है।

दोष

वैसे तो होली एक भाईचारे का त्यौहार है जहा सभी बड़े ही प्रेम से इस त्यौहार को मनाते है। लेकिन वही कुछ लोग ऐसे होते है जो इस दिन काफी नशा करते है जो उनकी सेहत और अन्य लोगो के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। लोग शराब पीकर गाड़ियां चलाते है जिस से उनकी व दुसरो की जिन्दगी दाव पर लगी होती है।

कुछ लोग होली के दिन नशे में चूर होकर जुआ खेलते है जो बहुत बुरी बात होती है। वही देखा जाए तो कुछ लोग ऐसे भी होते है मिट्टी, कीचड इत्यादि से होली खेलते है। इस से लोगो में बिमारी फेलने का खतरा बन जाता है।

इस दिन दुकानों पर कई प्रकार के रंग मिलते है जिन्हें हम सामान्य तौर पर कच्चा और पक्का रंग कहते है। कुछ लोग जान बुझकर पक्का रंग लेते है जो की इंसान की त्वचा के लिए बेहद हानिकारक होता है। सरकार की सख्तियो के बावजूद अभी भी बहुत सी जगह ऐसा हो रहा है। हमें इन सब बातो पर ध्यान देना चाहिए।

निष्कर्ष

हमें होली को एकता की भावना से खेलना चाहिए। सुबह उठकर अपने माता-पिता के चरण छूने चाहिए। इस दिन हमें अपनी सभी दुश्मनियों को भूलकर सभी लोगो से गले मिलना चाहिए व होली की शुभकामनाएं देनी चाहिए। हमें कच्चे रंग से ही होली खेलनी चाहिए। पानी का दुरुपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

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