होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? | Why Holi is Celebrated? 2021 Updated
Why Holi is Celebrated in Hindi – क्या आपको मालूम है कि Holi Kyo Manai Jati Hai? Holika Dahan Ka Matlab क्या होता है? अगर नहीं, तो इस पोस्ट को आखिरी तक पढ़े। इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे आखिर होली क्यों मनाई जाती है और होली के पीछे क्या राज है, क्या कहानी है।
About Holi (Why Holi is Celebrated)
सबसे पहले तो मैं आपको बताना चाहूँगा कि इस बार यानि की 2021 में होली 28 March को मनाई जा रही है जिसमे की 28 March को होलिका दहन होगा (Choti Holi) और 29 March को धुलंडी (Badi Holi) धुलंडी मतलब कि इस दिन एक दूसरे को रंग लगाया जाता है।
Holi Kyo Manai Jati Hai? Why Holi is Celebrated
आमतौर पर इस “रंगों के त्यौहार” होली को हर साल फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली मानाने के पीछे हिन्दू धर्म में एक बहुत पुरानी कहानी का राज छुपा है। चलिए हम आपको बताते है आखिर क्या है वो कहानी जिसके चलते होली का पर्व मनाया जाता है।
History of Holi (होली क्यों मनायी जाती है)
प्राचीन काल में एक बहुत ही क्रूर और निर्दयी राजा रहता था जिसका नाम “हिरण्यकश्यप” था। भगवान विष्णु ने इस राजा के छोटे भाई को मार दिया था जिसके चलते हिरण्यकश्यप बहुत क्रोध में आ गया था और अपने भाई की मौत का बदला लेना चाहता था।
वरदान की प्राप्ति
इसी सोच के चलते वह जंगल में चला गया और वहा कई सालो तक उसने कठोर तपस्या की जिस से वो शक्तिशाली बन सके। भगवान ब्रह्मा उस राजा की तपस्या से खुश हुए और बदले में हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी से वरदान माँगा की वह ना रात में मारे ना दिन में मरे, ना उसे नर मार पाए ना नारि, ना पशु मार पाए ना पक्षी, ना देवता मार पाए ना राक्षस, ना कोई अस्त्र ना कोई शस्त्र, ना वह बाहर मरे ना वह अन्दर। कुल मिलकर उसकी मृत्यु कोई भी ना कर पाए।
जब भगवान ब्रह्मा जी ने उसे यह वरदान दे दिया तब उस राजा को अत्यधिक घमंड हो गया और उसने अपने दरबार में सभी को ये आदेश दे दिया की अब लोग सिर्फ उसी की पूजा करेंगे। जो उसकी पूजा नहीं करेगा वह मरेगा। पूरी पृथ्वी पर वह अपने आपको सबसे शक्तिशाली समझने लग गया और अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करने लगा।
पुत्र का जन्म (प्रहलाद)
एक समय ऐसा आया जब राजा के घर एक पुत्र का जन्म हुआ। राजा के पुत्र में एक खास बात निकली जिसको राजा ने कभी सोचा भी नहीं था। वो बात यह थी की उसका स्वयं का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु जी का भक्त निकला। उसका पुत्र हमेशा भगवान विष्णु जी का जाप करता रहता था।
पुत्र का वध करने की साजिश
जब राजा ने देखा की उसका स्वयं का पुत्र ही उसकी पूजा ना करते हुए विष्णु जी की पूजा कर रहा है तो वह बहुत क्रोध में आ गया और उसने पहले तो अपने पुत्र को समझाया लेकिन उसके पुत्र के मना करने पर राजा ने अपने पुत्र का वध करने के निश्चय कर लिया।
हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने के लिए बहुत एस उपाय किये जैसे की सापों के तयखाने में बंद कर दिया गया, कभी हाथी के पैरो से कुचलवाने का प्रयास किया तो कभी पर्वत से निचे भी धकेल दिया गया। लेकिन जैसा की हमने आपको बताया की प्रहलाद विष्णु जी के परम भक्त थे इसलिए वो प्रहलाद को हर बार मौत के मुह से बचा लेते थे।